
Panchayat Constitution Of India :Panchayat Raj
Panchayat Raj स्थानीय स्वशासन का अर्थ है, शासन-सत्ता को एक स्थान पर केंद्रित करने के बजाय उसे स्थानीय स्तरों पर विभाजित किया जाए, ताकि आम आदमी की सत्ता में भागीदारी सुनिश्चित हो सके और वह अपने हितों व आवश्यकताओं के अनुरूप शासन-संचालन में अपना योगदान दे सके।
स्वतंत्रता के पश्चात् पंचायती राज की स्थापना लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण की अवधारणा को साकार करने के लिये उठाए गए महत्त्वपूर्ण कदमों में से एक थी। वर्ष 1993 में संविधान के 73वें संशोधन द्वारा पंचायती राज व्यवस्था को संवैधानिक मान्यता मिली थी। इसका उद्देश्य था देश की करीब ढाई लाख पंचायतों को अधिक अधिकार प्रदान कर उन्हें सशक्त बनाना और उम्मीद थी कि ग्राम पंचायतें स्थानीय ज़रुरतों के अनुसार योजनाएँ बनाएंगी और उन्हें लागू करेंगी।
Panchayat Raj
73वें संविधान संशोधन में भाग 91 अनुच्छेद 243 जोड़ा गया जो कि पंचायती राज्य संबंधित है। अनुच्छेद 243 में कुल 16 विषय है।
भारत में स्थानीय स्वशासन का जनक ‘लाॅर्ड रिपन’ को माना जाता है। वर्ष 1882 में उन्होंने स्थानीय स्वशासन संबंधी प्रस्ताव दिया जिसे स्थानीय स्वशासन संस्थाओं का ‘मैग्नाकार्टा’ कहा जाता है। वर्ष 1919 के भारत शासन अधिनियम के तहत प्रांतों में दोहरे शासन की व्यवस्था की गई तथा स्थानीय स्वशासन को हस्तांतरित विषय सूची में रखा गया। वर्ष 1935 के भारत शासन अधिनियम के तहत इसे और व्यापक व सुदृढ़ बनाया गया।स्वंत्रता के पश्चात् वर्ष 1957 में योजना आयोग (जिसका स्थान अब नीति आयोग ने ले लिया है) द्वारा ‘सामुदायिक विकास कार्यक्रम’ और ‘राष्ट्रीय विस्तार सेवा कार्यक्रम’ के अध्ययन के लिये ‘बलवंत राय मेहता समिति’ का गठन किया गया। नवंबर 1957 में समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंपी जिसमें त्रि-स्तरीय पंचायती राज व्यवस्था- ग्राम स्तर, मध्यवर्ती स्तर एवं ज़िला स्तर लागू करने का सुझाव दिया।
वर्ष 1958 में राष्ट्रीय विकास परिषद ने बलवंत राय मेहता समिति की सिफारिशें स्वीकार कीं तथा 2 अक्तूबर, 1959 को नागौर ज़िले (राजस्थान) में तत्कालीन प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू द्वारा देश की पहली त्रि-स्तरीय पंचायत का उद्घाटन किया गया।वर्ष 1993 में 73वें व 74वें संविधान संशोधन से भारत में पंचायती राज व्यवस्था को संवैधानिक दर्ज़ा प्राप्त हुआ।
Art. 243 परिभाषा
- (क) “जिला” से किसी राज्य का जिला अभिप्रेत है ;
- (ख) “ग्राम सभा” से ग्राम स्तर पर पंचायत के क्षेत्र के भीतर समाविष्ट किसी ग्राम से संबंधित निर्वाचक नामावली में रजिस्ट्रीकॄत व्यक्तियों से मिलकर बना निकाय अभिप्रेत है ;
- (ग) “मध्यवर्ती स्तर” से ग्राम और जिला स्तरों के बीच का ऐसा स्तर अभिप्रेत है जिसे किसी राज्य का राज्यपाल , इस भाग के प्रयोजनों के लिए , लोक अधिसूचना द्वारा, मध्यवर्ती स्तर के रूप में विनिर्दिष्ट करे ;
- (घ) “पंचायत” से ग्रामीण क्षेत्रों के लिए अनुच्छेद 243ख के अधीन गठित स्वायत्त शासन की कोई संस्था (चाहे वह किसी भी नाम से ज्ञात हो) अभिप्रेत है ;
- (ङ) “पंचायत क्षेत्र” से पंचायत का प्रादेशिक क्षेत्र अभिप्रेत है ;
- (च) “जनसंख्या” से ऐसी अंतिम पूर्व वर्ती जनगणना में अभिनिश्चित की गई जनसंख्या अभिप्रेत है जिसके सुसंगत आंकड़े प्रकाशित हो गए हैं ;
- (छ) “ग्राम” से राज्यपाल द्वारा इस भाग के प्रयोजनों के लिए, लोक अधिसूचना द्वारा, ग्राम के रूप में विनिर्दिष्ट ग्राम अभिप्रेत है और इसके अंतर्गत इस प्रकार विनिर्दिष्ट ग्रामों का समूह भी है
पंचायतों से संबंधित अनुच्छेद
अनुच्छेद | विषय-वस्तु |
243 | परिभाषाएँ |
243 A | ग्राम सभा |
243 B | पंचायतों का गठन |
243 C | पंचायतों की संरचना |
243 D | स्थानों का आरक्षण |
243 E | पंचायतों की अवधि आदि |
243 F | सदस्यता के लिये निरर्हताएँ |
243 G | पंचायतों की शक्तियाँ, प्राधिकार और उत्तरदायित्व |
243 H | पंचायतों द्वारा कर अधिरोपित करने की शक्तियाँ और उनकी निधियाँ |
243 I | वित्तीय स्थिति के पुनर्विलोकन के लिये वित्त आयोग का गठन |
243 J | पंचायतों के लेखाओं की संपरीक्षा |
243 K | पंचायतों के लिये निर्वाचन |
243 L | संघ-राज्य क्षेत्रोंं में लागू होना |
243 M | इस भाग का कतिपय क्षेत्रोंं पर लागू न होना |
243 N | विद्यमान विधियों और पंचायतों का बने रहना |
243 O | निर्वाचन संबंधी मामलों में न्यायालयों के हस्तक्षेप का वर्ज़न |
- 73वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 तत्कालीन प्रधानमंत्री पी. वी. नरसिम्हा राव के कार्यकाल में प्रभावी हुआ।
- विधेयक के संसद द्वारा पारित होने के बाद 20 अप्रैल, 1993 को राष्ट्रपति की स्वीकृति प्राप्त हुई और 24 अप्रैल, 1993 से 73वाँ संविधान संशोधन अधिनियम लागू हुआ। अतः 24 अप्रैल को ‘राष्ट्रीय पंचायत दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।
- इस संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा संविधान में भाग-9 जोड़ा गया था।
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